समाज का कोई भी संगठन 'समाज' से ऊपर नहीं होता,
संगठन नहीं, समाज है सर्वोपरि !
माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस "महेश नवमी" के समारोह में, इस समारोह के कार्यक्रम पत्रिका पर माहेश्वरी समाज के सिम्बॉल "मोड़" के बजाय सिर्फ माहेश्वरी महासभा के सिम्बॉल (कमलपुष्प पर शिवपिंड) छापना, प्रचारित करना ऐसे ही है जैसे की भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त के कार्यक्रम में तिरंगे ध्वज को नहीं बल्कि भाजपा या कांग्रेस इस राजनीतिक पार्टी के झंडे को फहराना. जैसे कोई भी राजनीतिक दल देश से ऊपर नहीं होता है वैसे ही समाज का कोई भी संगठन 'समाज' से ऊपर नहीं होता है इस बात को ना केवल समाज के संगठनों को, संस्थाओं को, संगठनों/संस्थाओं के पदाधिकारियों को बल्कि आम माहेश्वरीजनों को भी समझना होगा.
माहेश्वरी महासभा यह राष्ट्रिय स्तर का एक माहेश्वरी संगठन है, कुल माहेश्वरी समाज में से लगभग 10% समाजबंधु इस संगठन के सदस्य होने के कारन यह संगठन अनेको माहेश्वरी संगठनों में सबसे बड़ा संगठन है. माहेश्वरी महासभा इस संगठन का सिम्बॉल है- "कमलपुष्प पर शिवपिंड" वाला चिन्ह; यह चिन्ह माहेश्वरी महासभा इस संगठन का और इस संगठन के सदस्यों का प्रतिनिधित्व करता है. जैसे माहेश्वरी महासभा का सिम्बॉल "कमलपुष्प पर शिवपिंड" वाला चिन्ह है वैसे ही माहेश्वरी समाज का प्रतीकचिन्ह "मोड़" (एक त्रिशूल और त्रिशूल के बीच के पाते में एक वृत्त तथा वृत्त के बीच ॐ) है. मोड़ निशान माहेश्वरी समाज की सामाजिक/सांस्कृतिक/धार्मिक पहचान है जो समस्त समाज का, हरएक माहेश्वरी व्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है.
उपरोक्त पैरेग्राप से आप माहेश्वरी समाज के इन 2 सिम्बॉल के बिच के अंतर को समझ गए होंगे. अब सवाल यह है की माहेश्वरी महासभा अपने संगठन के सिम्बॉल को 'समाज' का सिम्बॉल बताने पर क्यों तुली हुई है? महेश नवमी जैसे समस्त माहेश्वरी समाज के सबसे बड़े पर्व में भी माहेश्वरी महासभा और उनके पदाधिकारी समाज के सिम्बॉल का नहीं बल्कि उनके अपने संगठन के सिम्बॉल का ही प्रचार करते दिखाई देते है, ऐसा क्यों? सिर्फ 10% समाजबंधु इस संगठन के सदस्य है वो माहेश्वरी महासभा यह संगठन खुद को ही क्या "समस्त माहेश्वरी समाज" समझता है? एक तो माहेश्वरी महासभा ने वर्षों तक माहेश्वरी समाज के मूल प्रतीकचिन्ह 'मोड़' को अनदेखा किया और सिर्फ अपने संगठन के सिम्बॉल को ही प्रचारित किया ताकि समाज " संगठन के सिम्बॉल " को ही समाज का सिम्बॉल समझने के भ्रम में रहे. अब जब समाज के लोगों को माहेश्वरी समाज के निशान की जानकारी हो गई है और आम समाजबंधु इसका इस्तेमाल-प्रचार-प्रसार कर रहे है तब भी माहेश्वरी महासभा उसे अनदेखा कर रही है; महासभा का यह बर्ताव खुद को समाज से ऊपर समझनेवाला है. यह समाज के सम्मान के साथ खिलवाड़ है.
माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिवस "महेश नवमी समारोह" का आयोजन ज्यादातर स्थानों पर माहेश्वरी महासभा के स्थानीय संगठनों द्वारा किया जाता है. इसी बात का फायदा उठाकर माहेश्वरी महासभा और उनके पदाधिकारी महेश नवमी जैसे समस्त माहेश्वरी समाज के सबसे बड़े पर्व के समारोह में, इस समारोह के कार्यक्रम-पत्रिका में भी समाज के सिम्बॉल 'मोड़' के बजाय अपने खुद के संगठन के सिम्बॉल (कमलपुष्प पर शिवपिंड) का ही इस्तेमाल करके अपने संगठन के सिम्बॉल का प्रचार-प्रसार करके समाज का नहीं बल्कि अपने संगठन का गौरव बढ़ाने के फ़िराक में रहती है; जो की सर्वथा गलत है, अनुचित है. यह महेश नवमी के आयोजक होने का किया गया गलत इस्तेमाल है. आम माहेश्वरी समाजबंधु, माता-बहनें इस गड़बड़झाले को समझे और समाज के सम्मान में, उचित मंच पर अपनी बात कहने का साहस भी दिखाएँ. किसी को भी इस बात को भूलना नहीं चाहिए की समाज का कोई भी संगठन 'समाज' से ऊपर नहीं होता, समाज सर्वोपरि है ! समाज का सम्मान सर्वोपरि है !! समाज का निशान (सिम्बॉल) सर्वोपरि है !!!
स्थानीय स्तर पर माहेश्वरी प्रगति मंडल, महेश युवा मंच, माहेश्वरी युवक मंडल जैसे अनेको संगठनो द्वारा महेश नवमी के अवसर पर पौधारोपण, रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य चिकित्सा शिबिर आदि अनेको समाजहितकारी/देशहितकारी कार्यक्रम आयोजित किये जाते है, इन कार्यक्रमों में, इनके निमंत्रण पत्रिका / कार्यक्रम पत्रिका में माहेश्वरी समाज के निशान (सिम्बॉल) 'मोड़' का जरूर इस्तेमाल करे और समाज के गौरव को, समाज की ऐतिहासिक-सांस्कृतिक पहचान को कायम रखने में अपना योगदान दें.
*अधिक जानकारी के लिए कृपया इस link पर click कीजिये > Which is the Symbol of Maheshwari Community
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