माहेश्वरी समाज का संक्षिप्त परिचय


Brief introduction to Maheshwari community: 'माहेश्वरी' यह शब्द महा और ईश्वरी इन दो शब्दों के संयोग से बना है, महा + ईश्वरी = माहेश्वरी. महा का अर्थ है- सबसे बड़ा या सबसे बड़ी; और 'ईश्वरी' का अर्थ है- देवी. माहेश्वरी अर्थात महादेवी. महादेवी अर्थात आदिशक्ति माता पार्वती के नाम से जुडी हुई है माहेश्वरीयों की पहचान. माहेश्वरी इस शब्द के अन्य अर्थ है- अलौकिक, दिव्य अथवा दैवीय (दिव्य गुणों को धारण करनेवाला).


परंपरागत मान्यता के अनुसार, "माहेश्वरी समाज" की उत्पत्ति (स्थापना) युधिष्ठिर संवत 9 में, भारत के उत्तर-पश्चिमी भाग राजस्थान में, भगवान महेश (देवाधिदेव महादेव) द्वारा की गई थी. युधिष्ठिर संवत भारत का सर्वाधिक प्राचीन संवत है जिसकी कालगणना कलियुग से 40 वर्ष पूर्व से की जाती है. इसका तात्पर्य यह है की माहेश्वरी समाज की स्थापना द्वापर युग (महाभारत काल) में हुई है.


माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति तिथि 'ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष की नवमी' को 'महेश नवमी' के नाम से जाना जाता है. माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन (माहेश्वरी समाज स्थापना दिन) “महेश नवमी” का माहेश्वरी समाज में अपना एक पवित्र एवं अनुपम स्थान है. भगवान महेशजी माहेश्वरी समाज के प्रवर्तक हैं. देवाधिदेव भगवान महेशजी माहेश्वरी समाज के इष्टदेव है. माहेश्वरी समाज में महेश परिवार की महिमा मुख्य रूप से पूज्यनीय व दर्शनीय मानी गई है. 'महेश परिवार' में आस्था और मानव मात्र के कल्याण की कामना (सर्वे भवन्तु सुखिनः) माहेश्वरी संस्कृति का प्रमुख सिद्धान्त हैं. माहेश्वरी समाज सत्य, प्रेम और न्याय के पथ पर चलता है. कर्म करना, बांट कर खाना और प्रभु का नाम जाप करना इसके आधार हैं. माहेश्वरी अपने धर्माचरण का पूरी निष्ठा के साथ पालन करते है तथा वह जिस स्थान/प्रदेश में रहते है वहां की स्थानिक संस्कृति का पूरा आदर-सन्मान करते है, इस बात का ध्यान रखते है; यह माहेश्वरी समाज की विशेष बात है.

Maheshwari Flag- Divyadhwaj

ईसापूर्व 3133 में माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति के समय लगभग पांच सौ की जनसंख्या से शुरू हुये माहेश्वरी समाज की जनसंख्या वर्तमान समय में लगभग तीस-चालीस लाख है. अधिकांश माहेश्वरी भारत में रहते हैं. आज तकरीबन भारत के हर राज्य, हर शहर में माहेश्वरीजन बसे हुए है और अपने अच्छे व्यवहार के लिए पहचाने जाते है. दानशूरता, उदारता, औरों की भलाई जैसे गुणों के कारण ही माहेश्वरी समाज ने पैसा भी कमाया और सर्वत्र चिकित्सालय, शिक्षालय, कुँए, बावड़ी, प्याऊ, धर्मशाला, अनाथालय, गौशालाओं का अम्बार लगा दिया जो इस समाज की देश भर में अपनी अलग पहचान बनाती है. विरासत में मिले अपने इन्ही गुणों और समृद्ध संस्कृति के कारन आज पूरी दुनिया में ‘माहेश्वरी’ की एक अलग और गौरवमय पहचान है.


(वर्ष 2017 में महेश नवमी के दिन माहेश्वरी समाज का 5150 वा वंशोत्पत्ति दिवस है).


"माहेश्वरी वंशोत्पत्ति एवं इतिहास" की अधिक जानकारी के लिए कृपया इस लिंक पर क्लिक करें > Maheshwari Origin and brief History (माहेश्वरी समाज की स्थापना एवं इतिहास)

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