ये लोकसेवक बिल है या काला कानून, ये अंधेर नगरी चौपट राजा वाली बात -प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी
राजस्थान सरकार ने लोकसेवक विधेयक लाया है जिसपर प्रतिक्रिया देते हुए माहेश्वरी अखाड़े के पीठाधिपति प्रेमसुखानन्द माहेश्वरी ने कहा है की इस विधेयक से आम लोगों और विशेषकर व्यापारियों के तकलीफों में और बढ़ोतरी होगी. यह विधेयक आम नागरिकों से न्याय मांगने का बुनियादी अधिकार भी छीन लेगा. कोई भी ना पुलिस में शिकायत दर्ज करा सकता है ना कोर्ट में जा सकता है, यह तो 'अंधेर नगरी और चौपट राजा' वाली बात होने जा रही है. उन्होंने कहा की यह लोकसेवक विधेयक ना सिर्फ जनता विरोधी है बल्कि भाजपा के लिए भी अपने पैर खुद कुल्हाड़ी मार लेने जैसा है.
राजस्थान सरकार ने अध्यादेश जारी किया है कि किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या
लोकसेवक के खिलाफ सरकार से मंजूरी लिए बिना किसी तरह की जांच नहीं की
जाएगी. अध्यादेश के मुताबिक, कोई भी लोकसेवक अपनी ड्यूटी के दौरान लिए गए
निर्णय पर जांच के दायरे में नहीं आ सकता है, सिवाय कोड ऑफ क्रिमिनल
प्रोसिजर 197 के. इतना ही नहीं, किसी भी लोकसेवक के खिलाफ कोई भी एफआईआर
दर्ज नहीं करा सकता है. पुलिस भी एफआईआर नहीं दर्ज कर सकती है. किसी भी
लोकसेवक के खिलाफ कोई कोर्ट नहीं जा सकता है और न हीं जज किसी लेकसेवक के
खिलाफ कोई आदेश दे सकता है.
अध्यादेश के मुताबिक, सरकार के स्तर पर
सक्षम अधिकारी को 180 दिन के अंदर जांच की इजाजत देनी होगी. अगर 180 दिन
के अंदर जांच की इजाजत नहीं दी जाती है तो इसे स्वीकृत मान लिया जाएगा.
अध्यादेश में यह भी कहा गया है कि किसी भी जज, मजिस्ट्रेट या लोकसेवक का
नाम और पहचान मीडिया तब तक जारी नहीं कर सकता है जब तक सरकार के सक्षम
अधिकारी इसकी इजाजत नहीं दें. क्रिमिनल लॉ राजस्थान अमेंडमेंट ऑर्डिनेंस
2017 मंल साफ तौर पर मीडिया को लिखने पर रोक लगाई गई है.